113. हाँ ये सच है
हाँ ये सच है कि मैं उससे प्यार करता हूँ,
उसके लिए मैं हरपल बेकरार रहता हूँ ।
रात दिन अब उसी के ख्बाबों में खोया रहता हूँ,
कह दूँ उसे या चुप रहूँ,
बस यही सोचता रहता हूँ ।।
बहुत कोशिश करता हूँ कि कह दूँ उससे
लेकिन उससे कहने की,
हिम्मत नहीं है मुझमें ।
क्योंकि वो मेरी और मैं उसका,
बहुत इज्ज़त करता हूँ ।।
मैं प्रेम की बातें उससे अब कह नहीं सकता,
क्योंकि मैं शादी शुदा हूँ ।
पर बेचैन रहता हूँ उसके लिए सदा,
क्योंकि मैं उससे प्यार करता हूँ ।।
डरता नहीं किसी से मैं,
लेकिन बने हुए रिश्ते खराब होने से डरता हूँ ।
कैसे जुदा रहूँ मैं उससे,
ये दिल की बात कहता हूँ ।
हाँ ये सच है कि मैं उससे प्यार करता हूँ ।।
बड़ी तमन्ना है मुझे, उसे अपना बनाने की,
पर क्या करूँ मैं, उससे कह न पाता हूँ ।
कहीं बुरा न मान जाए वो क्योंकि,
हमें हर वक्त उसे, खोने का डर लगा रहता है ।।
जैसा नाम वैसा काम है उसका,
मेरे दिल में उसके प्यार की खूशबू है ।
मेरी चाहत है वो, मेरा सबकुछ है,
या खुदा कोई जाकर उसे बता दे ।
मेरे दिल का हाल जरा, कोई उसे समझा दे ।।
मेरी आशिकी वो, मेरी दिलरुबा है,
चोरी चोरी मोहब्बत करता हूँ उनसे ।
काश कोई जाकर उसे,
मेरे दिल का पता दे ।।
ऐ खुदा ! काश अगर ये कविता,
वो पढ़ लेगी या पढ़ रही होगी,
तो मेरे दिल का हाल वो समझ जाएगी,
नहीं तो आप उसे जरूर बता देना,
कि हाँ ये सच है कि मैं उससे प्यार करता हूँ ।।
लेकिन कभी कह न पाया,
और ना कभी कह सकता हूँ उसे ।
कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ ।
पर हाँ ये सच है कि मैं उससे प्यार करता हूँ ।
हाँ ये सच है कि मैं उससे प्यार करता हूँ ।।
कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 25/02/2021
समय – 09 : 54 ( रात्रि )
संपर्क – 9065388391