Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Sep 2022 · 2 min read

“हाँ! मैं मजदूर हूं…”

“हाँ! मैं मजदूर हूँ…”

हां! मैं मजदूर हूं
मैं भी तो इसी देश का वासी हूं, दिहाड़ीदार कामगार श्रमिक हूं मजबूर हूं।
दास हूं सेवक हूं हां मैं मजदूर हूं।। वतन हमें भी प्यारा है,
हमें भी वतन पर नाज है।
मगर कई बार ऐसा हुआ है,
हमारी किसी ने ना सुनी,
बहुत धीमी दबी हुई अनसुनी मेरी आवाज है।।
मैं कितना सहता हूं मगर चुप रहता हूं।
किसी की नजरों में कठोर हूं किसी की नजरों में बहुत ही क्रूर हूं।
मैं भी तो इसी देश का वासी हूं दिहाड़ीदार कामगार श्रमिक हूं मजबूर हूं।
दास हूं सेवक हूं हां मैं मजदूर हूं।।
मेरे नसीब में मात्र मिट्टी है,
मिट्टी में ही मुझको मिल जाना है।
रुकना कहां सीखा है मैंने चलना है आगे बढ़ते जाना है।।
मंजिल कहां मैं आज तक समझ नहीं पाया,
ना ही देख पाया, ना ही कुछ नजर आया।।
कहां मेरा ठिकाना
सुखचैन ऐसो आराम मेरे नसीब में लिखे ही कहां है,
यह सब बातें मेरे लिए बेबुनियाद हैं।
इन सब बातों से तो मैं कोसों दूर हूं।
मैं भी तो इसी देश का वासी हूं
दिहाड़ीदार कामगार श्रमिक हूं मजबूर हूं।
दास हूं सेवक हूं हां मैं मजदूर हूं।।
मैं नजर कहां आया किसी को, इतनी भीड़ में मैं अकेला रहा। इतना वक्त मुझे कहां मिला
कहां मेरे लिए कोई खेल कहां मेरे लिए कोई मेला रहा।।
ताने और नफरतें जहां भर की जिंदगी भर मिली।
इनसे वास्ता मेरा हर पल हर दम रहा।।
सिसकियां अपने तक ही तो रखी सदा मैंने,
कब भला दुनिया को गला फाड़ कुछ कहा।।
कोई हमें भी समझे मेरे हालातों को जाने,
कुछ टुकड़े ही समेटने हैं,
कहां अब चूर-चूर हूं।
मैं भी तो इसी देश का वासी हूं दिहाड़ीदार कामगार श्रमिक हूं मजबूर हूं।
दास हूं सेवक हूं हां मैं मजदूर हूं।।
कितने पढ़े पांव में छाले कौन जाने,
कितने पढ़े पांव में छाले कौन। जाने कितने पार किये जंगल पहाड़ नदी नाले कौन जाने।। कितनी रातें खुले आसमान के तले काटी।
किसने लूटा और खुशियां किसने बाटी।।
हमसे बोलने का हक छीन सकते हो मगर आंखों देखा याद रखता जरूर हूं।
मैं भी तो इसी देश का वासी हूं दिहाड़ीदार कामगार श्रमिक हूं मजबूर हूं।
दास हूं सेवक हूं हां मैं मजदूर हूं हां मैं मजदूर हूं …

:
सुनील सैनी “सीना”
रामनगर रोहतक रोड जीन्द (हरियाणा)-126102.

1 Like · 213 Views

You may also like these posts

सफ़र जो खुद से मिला दे।
सफ़र जो खुद से मिला दे।
Rekha khichi
आकर्षण
आकर्षण
Ritu Asooja
मिट्टी
मिट्टी
Sudhir srivastava
गुलदानों में आजकल,
गुलदानों में आजकल,
sushil sarna
एक नयी शुरुआत !!
एक नयी शुरुआत !!
Rachana
जीवन में आप सभी कार्य को पूर्ण कर सकते हैं और समझ भी सकते है
जीवन में आप सभी कार्य को पूर्ण कर सकते हैं और समझ भी सकते है
Ravikesh Jha
*नगर अयोध्या ने अपना फिर, वैभव शुचि साकार कर लिया(हिंदी गजल)
*नगर अयोध्या ने अपना फिर, वैभव शुचि साकार कर लिया(हिंदी गजल)
Ravi Prakash
तुम, तुम और तुम
तुम, तुम और तुम
Acharya Shilak Ram
खोटे सिक्कों के जोर से
खोटे सिक्कों के जोर से
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
*धरा पर देवता*
*धरा पर देवता*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
पीहर आने के बाद
पीहर आने के बाद
Seema gupta,Alwar
होंसला, हिम्मत और खुदा
होंसला, हिम्मत और खुदा
ओनिका सेतिया 'अनु '
नूतन संरचना
नूतन संरचना
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
2521.पूर्णिका
2521.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
जय श्रीराम !
जय श्रीराम !
Mahesh Jain 'Jyoti'
वक्त बदलते ही चूर- चूर हो जाता है,
वक्त बदलते ही चूर- चूर हो जाता है,
सिद्धार्थ गोरखपुरी
नयनजल
नयनजल
surenderpal vaidya
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
*विषमता*
*विषमता*
Pallavi Mishra
अगर है इश्क तो (ग़ज़ल)
अगर है इश्क तो (ग़ज़ल)
Dushyant Kumar Patel
"मजदूर"
Dr. Kishan tandon kranti
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बिहार के रूपेश को मिला माँ आशा देवी स्मृति सम्मान और मुंशी प्रेमचंद शिरोमणि सम्मान
बिहार के रूपेश को मिला माँ आशा देवी स्मृति सम्मान और मुंशी प्रेमचंद शिरोमणि सम्मान
रुपेश कुमार
शीर्षक:
शीर्षक:"बहन मैं उसे
Harminder Kaur
पास फिर भी
पास फिर भी
Dr fauzia Naseem shad
प्रेम🕊️
प्रेम🕊️
Vivek Mishra
जो अपने दिल पे मोहब्बत के दाग़ रखता है।
जो अपने दिल पे मोहब्बत के दाग़ रखता है।
Dr Tabassum Jahan
सब कुछ यूं ही कहां हासिल है,
सब कुछ यूं ही कहां हासिल है,
manjula chauhan
शुभ रात्रि
शुभ रात्रि
*प्रणय*
किसी के दिल में चाह तो ,
किसी के दिल में चाह तो ,
Manju sagar
Loading...