हाँ, मैं नास्तिक हूं !
हाँ, मैं नास्तिक हूँ
मुझे नास्तिक ही रहने दो
धकेलो मत मुझे
आस्तिकता के खाई में
बहुत अंधकार है वहां
बदबू और सीलन है वहां
और सीलन भरे जमीन
मजबूती नहीं देते
भीत नही देते
मुझे ढहना नहीं है,
मुझे सड़ना नहीं है
अरे रहना है
खड़े रहना है
अपने लिए
अपने अपनों के लिए
औरों के लिए,
गैरों के लिए भी
जो आस्तिकता के अफीम से
मस्त हैं ,सुस्त हैं, पस्त हैं
पत्थरों में नहीं दिखते मुझे भगवान
इंसानो में ढूंढ़ती हूं
जज़्बातों में ढूंढती हूँ
अल्फ़ाज़ों में ढूंढती हूँ
हां, मैं नास्तिक हूं
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18-05-2019
…सिद्धार्थ…