हाँ, मेरा यह खत
हाँ, मेरा यह खत,
जरूर पहुंच जायेगा तुम तक,
हाँ, मैं जानता हूँ,
तुम्हारे दिल की बात,
मैं समझता हूँ,
मेरे प्रति तुम्हारी भावनाओं को।
नहीं, अब यह नहीं सोचना,
कि नहीं आती तुम्हारी याद,
और यह भी मत समझना,
कि मुझमें पैदा हो गया है अभिमान,
लेकिन होकर भी आत्मनिर्भर मैं,
मैं आज भी हूँ वैसा ही,
जैसा कल मिला था तुमसे।
आज भी है तुम्हारी वो तस्वीरें,
मेरे कमरे में और दिल में,
नहीं लगाई है उनकी स्थान पर,
मैंने कोई अन्य तस्वीरें,
चाहे कुछ विचारों पर,
मैं नाराज हो गया हूँ तुमसे।
फिर तुम भी तो जानते हो,
मेरी आदत और मेरा नजरिया,
मेरे आलसीपन को अच्छी तरह,
हो सकता है मुझको जाना हो,
किसी दूसरे शहर में कल,
वहाँ की हवा और मिट्टी देखने,
लेकिन हॉं, मेरा खत,
जरूर पहुँच जायेगा तुम तक।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ साहित्यकार
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)