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25 Sep 2023 · 1 min read

हाँ, मेरा मकसद कुछ और है

हाँ, मेरा मकसद कुछ और है,
मैं दिखाना चाहता हूँ उनको,
जिन्होंने मुझको ये जख्म दिये हैं,
देखना चाहता हूँ उनको ललचाते हुए,
जिनके सामने कभी मैं गिड़गिड़ाया था,
मेरी मुसीबत में उनसे शरण पाने के लिए।

हाँ, मैं बहुत जिद्दी हूँ,
और मेरा मकसद यह नहीं है,
कि कर दूँ कुर्बान अपनी सारी खुशी,
उनको बनाने के लिए अपने हमसफर,
जो मुझको नहीं, मेरी दौलत को चाहते हैं,
और लेते हैं परीक्षा मेरी क्षमताओं की।

मैं नहीं कमा रहा हूँ उनके लिए,
जो रखेंगे मुझसे रिश्ता तब तक ही,
जब तक मैं बेकार नहीं हो जाऊँ,
हाँ, मैं सिखाना चाहता हूँ उनको सबक,
जो हंसे है मेरी मजबूरी और शराफत पर।

बना लिया है कठोर हृदय खुद को मैंने,
नहीं छोड़ना चाहता हूँ मैं इस राह को,
हाँ, मुझको छोड़ दो अकेला मेरे हाल पर,
जीने दो मुझको अब मेरी जिंदगी,
जी आज़ाद खुद को बनाकर।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

Language: Hindi
237 Views

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