हाँ में हाँ
हाँ में हाँ मिलाना
मुहावरा नही है केवल
यह तो नियति है
हर स्त्री की
यदि मिलाई
तो पगली हर सुख है पाई
कहीं जो
उल्ट जाए विचार
तो शामत है आई
सम्मान की हकदार हैं
तभी तक
जब तक मुंडी है
ऊपर नीचे हिलायी
कहीं जो घूमी
दाएं बाएं
तो समझिये सिंहासन डोला
देखो जरा
समाज है कितना भोला
एक ही मंत्र है
हर स्त्री को सिखाना
जीना है अगर थोड़े
से सम्मान के साथ
तो बस बेटा
हाँ में हाँ मिलाना
केवल हाँ में हाँ मिलाना
यह मंत्र भूल गयी तो
अच्छी औरत न बन पाओगी
सुघड़ न कहलाओगी
बोलो न !
हाँ में हाँ मिलाओगी