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19 Nov 2024 · 1 min read

हाँ, मुझको तुमसे इतना प्यार है

मैंने नहीं देखा कभी इस शहर में,
अपनी मेहबूबा के लिए तड़पते किसी मेहबूब को,
अपनी हीर के लिए रोते हुए किसी रांझा को,
अधूरा है किस्सा जिनके सामने मुमताज़ का,
हाँ,मुझको तुमसे इतना प्यार है।

वह ख्वाब जिसको साकार नहीं किया किसी प्रेमी ने,
मैंने लिखी है वह किताब तुम्हारे लिए तेरे नाम पर,
अपने खूं से सींचा है जिसके एक-एक शब्द को,
ताकि पा सके आदमी नई जिंदगी मेरी मोहब्बत से,
हाँ, मुझको तुमसे इतना प्यार है।

मैंने कर दिया वह सारा इंतजाम जिसकी तुम्हें चाह है,
आराम से बीतेगी तुम्हारी जिंदगी कल को उससे,
मुझको मतलब नहीं इससे कि यह कितना स्थायी है,
लेकिन किसी में इतना करने की हिम्मत भी नहीं,
हाँ, मुझको तुमसे इतना प्यार है।

कोई कर दे जमींदोज अपने निशां- ए- ख्वाब को,
अपने मोहब्बत- मेहबूबा के लिए इस जमाने में,
और कर दे कुर्बान अपने सारे रिश्ते इश्क में,
तुमसे कहने के लिए अंत में यही अल्फाज है,
हाँ, मुझको तुमसे इतना प्यार है।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

Language: Hindi
29 Views

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