हसीन रुत प्यार की
*** हसीन रुत प्यार की ***
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आ गई हसीन रुत प्यार की,
होने प्रेम में बीमार की।
मस्तियों का शुरू सिलसिला,
दिल लगाने के खुमार की।
खोया खोया सा जवान दिल,
रंग बिरंगी घटा बहार की।
जागते हैं सोये अरमान,
चोट लगती नैन कटार की,
आशिकी का छा जाए सरूर,
चाहत प्रीतम के दीदार की।
दीवाना मन नहीं मानता,
अधर में कोशिशें सुधार की।
मंद मंद मद्धिम सी मुस्कान,
मन मे बसी तस्वीर यार की।
चोरी चोरी नजरें हैं मिलती,
उम्मीदें बढ़ती इकरार की।
टूट जाए कोमल सा हृदय,
आवाज सुन के इनकार की।
नाच न जाने आँगन टेढ़ा,
सौ बीमार एक अनार की।
गाते तराने अनुराग के,
झूमती बाँहों में यार की।
सौलहवाँ साल बेमिसाल,
जरूरत समझे दिलदार की।
मनसीरत पागल आवारा,
सलाह न माने परिवार की।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)