हसरतें
हम उन्हे हसरत से देखते
दौड़ नही रहे
जिनकी चाल कम थी
इरादे साफ थे
पता था उन्हें
जीवन से क्या चाहिए
दुनिया की रीत,
रिवाजो को ठुकरा दिया
नियम बनाये अपने लिए
अपनी नियत की
आपनी सफलताये
किसी ने घर छोड़ा
किसी छोड़ दी नोकरी
खुद को मुक्त किया
प्रत्यारोपित कामनाओ से
किसी ने पूछा करते क्या
जबाब आया मुस्कराकर
जीता हूँ इन दिनों
अजीब सी शान्ती
मानो बुध पीपल के
पेड़के नीचे से चल दिए हो