हवा
जब ठंडी के दिवा आते
चलती ठंडी- ठंडी हवा
कपते सबके हाथ – पैर
इनसे बचने के लिए हम
करते हम दव का प्रयोग ।
जब जब गर्मी है आती
चलती गरम गरम है लू
लोगों की हालत गंभीर
इनसे बचने के लिए हम
करते हैं अंबु का प्रयोग ।
मकर संक्रांति आते जब
उड़ाते अपना डोर-पतंग
उड़ती जब पतंग हमारी
इन मीठी मीठी हवाओं में
झूम के खुश हो जाते हम ।
ऑक्सीजन से हम रहते जिंदा
वही प्राणवायु , हवा कहलाती
हवा जब जब गुब्बारों में जाती
बच्चे के दिल में खुशियां छाती
वही हमारी मंजु, मनोहर हवाएं ।
अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय बिहार