Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Dec 2018 · 1 min read

हवा सोच रही दवा को

हवा सोच रही दवा को
देख रही नज़ारे धरा में
ज़हरीली हो गई है हवा
लेना होगा सबको दवा
ग़र न चेते समय से हम
नज़र न आयेगी ये धरा
हरे भरे वृक्षो को काटे
तमस सबको मारे चाटे
कंक्रीट के तो वृक्ष लगे
न देगे पाएंगे शुद्ध हवा
चाहे लेले ए. सी,कूलर
मानुष तू जो लगवाले
मिलेगी नही शुद्ध हवा
मिलके आओ वचन ले
प्रकृति की हम हवा ले
धरा को हरा भरा करले

-आकिब जावेद

Language: Hindi
2 Likes · 381 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Akib Javed
View all
You may also like:
"ये दुनिया है"
Dr. Kishan tandon kranti
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Life is beautiful when you accept your mistakes and make eve
Life is beautiful when you accept your mistakes and make eve
पूर्वार्थ
कुछ मासूम स्त्रियाँ!
कुछ मासूम स्त्रियाँ!
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
🙅एक नज़र में🙅
🙅एक नज़र में🙅
*प्रणय प्रभात*
शब की ख़ामोशी ने बयां कर दिया है बहुत,
शब की ख़ामोशी ने बयां कर दिया है बहुत,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
एक अधूरी सी दास्तान मिलेगी, जिसकी अनकही में तुम खो जाओगे।
एक अधूरी सी दास्तान मिलेगी, जिसकी अनकही में तुम खो जाओगे।
Manisha Manjari
*यह  ज़िंदगी  नही सरल है*
*यह ज़िंदगी नही सरल है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Welcome to HBNO, your go-to destination for the finest essen
Welcome to HBNO, your go-to destination for the finest essen
HBNO OIL
क्या आजाद हैं हम ?
क्या आजाद हैं हम ?
Harminder Kaur
सर्द हवाएं
सर्द हवाएं
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
हे दामन में दाग जिनके
हे दामन में दाग जिनके
Swami Ganganiya
🙏*गुरु चरणों की धूल*🙏
🙏*गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-170
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-170
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
परवरिश
परवरिश
Shashi Mahajan
फिर वही सुने सुनाए जुमले सुना रहे हैं
फिर वही सुने सुनाए जुमले सुना रहे हैं
Mahesh Tiwari 'Ayan'
कत्ल खुलेआम
कत्ल खुलेआम
Diwakar Mahto
*मुख काला हो गया समूचा, मरण-पाश से लड़ने में (हिंदी गजल)*
*मुख काला हो गया समूचा, मरण-पाश से लड़ने में (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
मुक्तक
मुक्तक
sushil sarna
മറന്നിടാം പിണക്കവും
മറന്നിടാം പിണക്കവും
Heera S
4688.*पूर्णिका*
4688.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
समंदर
समंदर
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
*आदर्श युवा की पहचान*
*आदर्श युवा की पहचान*
Dushyant Kumar
*मुश्किल है इश्क़ का सफर*
*मुश्किल है इश्क़ का सफर*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
आँखों में सुरमा, जब लगातीं हों तुम
आँखों में सुरमा, जब लगातीं हों तुम
The_dk_poetry
' पंकज उधास '
' पंकज उधास '
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
किसी ने बड़े ही तहजीब से मुझे महफिल में बुलाया था।
किसी ने बड़े ही तहजीब से मुझे महफिल में बुलाया था।
Ashwini sharma
मन की चाहत
मन की चाहत
singh kunwar sarvendra vikram
Loading...