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10 Dec 2017 · 1 min read

हवा चलती दिखी जिसको जिधर की

हवा चलती दिखी जिसको जिधर की
उसी ने राह पकड़ी है उधर की

कमाई है यही बस उम्र भर की
कभी नीची नहीं अपनी नज़र की

न मानी हार हमने ज़िन्दगी से
प्रतीक्षा अब भी है अच्छी खबर की

विचारों की हमारे डोर थामे
कलम बातें करे लंबे सफर की

सदा चलते रहो सच की डगर पर
वहां होती न कोई बात डर की

न होता उनका कोई जग में अपना
उधर करते हैं बातें जो इधर की

चलीं बातें वफ़ा की ‘अर्चना’ जब
खली तब चुप्पियाँ उनके अधर की

10-12-2017
डॉ अर्चना गुप्ता

1 Like · 458 Views
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