हवाओं में ज़हर
भगतसिंह की
कुर्बानी पर
देखना गफलत की
धूल न जाए!
किस तरह मिली
यह आजादी
आने वाली पीढ़ी
भूल न जाए!!
कुदरत की खुली
फ़जाओं में
इन मदमस्त
हवाओं में!
सांस लेना तक
दूभर हो जिससे
इतना ज़हर कहीं
घुल न जाए!!
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