***हवाएं आज प्रतिकूल है।***
“””””हवाएं आज प्रतिकूल है””””
सब कुछ तो ठीक चल रहा था।
गरीब अमीर अपने हिसाब से ढल रहा था।
बदली मौसम ने ऐसी करवट,
हवाएं आज प्रतिकूल है।।
प्रयास पर प्रयास हो रहे,मानव जिंदगियां खो रहे।
हो रहे परिवर्तन प्रकृति में ,राह समाधान की जोह रहे।।
संभल सको जितना संभल के रहना।
हवाएं आज प्रतिकूल है।।
अदृश्य हथियार है,पीछे से करता वार है।
मिलती सूचनाओं से निकला सार है।
याद रखना जरूर,रहना दूर दूर,
हवाएं आज प्रतिकूल है।।
राजेश व्यास अनुनय