हलसी एक रामायण औषधि
हँसी एक राम बाण सी औषधि
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जिंदगी जीने की न कोई अवधि
हँसी एक राम बाण सी औषधि
स्वार्थी जहां में रंज के ढ़ेर है
हर्ष के पल रामबाण सी औषधि
अपने अपनेपन में हैं लूटते
गैर का प्रेम रामबाण सी औषधि
आस्तीन के सर्प पास में घूमते
नेवले हों , राम बाण सी औषधि
माँ स्तन दूध से साँप है पालती
सपूत मिले,रामबाण सी औषधि
गमगीन जन के मुखड़े उड़े हुए
हर्षित दीप,रामबाण सी औषधि
दुनिया गोल में आमजन गोल हैं
नेक पुरुष, रामबाण सी औषधि
मनसीरत जहर उगलती जुबां है
प्रेमरसाव,,राम बाण सी औषधि
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)