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13 Dec 2022 · 1 min read

हलवा(कुंडलिया )

हलवा(कुंडलिया )
———————————————–
बोला लड्डू मैं बड़ा , रसगुल्ला बेकार
शुभ कार्यों में सर्वदा , मेरा ही व्यवहार
मेरा ही व्यवहार , न भाती बालूशाही
बर्फी पपड़ी- सोन,आजकल किसने चाही
कहते रवि कविराय ,राज हलवे ने खोला
हलवाई का नाम , नाम पर मेरे बोला
————————————————–
रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 9761 5451

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