Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Jul 2020 · 2 min read

# हलचल #

“अब तो आप बुड्ढे हो गए हैं।”कानों के पास आई सफेदी को देखकर श्रीमती शर्मा ने कहा।
“अरे! इसमें कौन-सी नई बात है? एक दिन सबको ही बुड्ढा होना होता है।फिर तुम्हारे लिए तो खुशी की बात है।”
“तुम भी क्या बात करते हो जी,मेरे लिए ये खुशी की बात कैसे हो सकती है?”
“समझने की कोशिश करो भागवान! अब तुम चिंतामुक्त रहोगी।नहीं तो हर समय खटका रहता होगा कि कहीं कोई तुम्हारे पति पर डोरे डालकर तुमसे छीन न ले।फिर पुरुष को तो वैसे ही प्रकृत्या चंचल माना जाता है,बेचारा कुछ करे या न करे।” शर्मा जी ने अपनी श्रीमती जी को समझाते हुए कहा।
“तुम भी न कहाँ की बात कहाँ ले जाते हो”,श्रीमती शर्मा ने इठलाते हुए कहा।
तभी दरवाज़े की डोरबेल बजती है।श्रीमती शर्मा दरवाज़ा खोलती हैं, तो सामने अपनी पड़ोसिन मोहिनी को देखती हैं, जो कि हँसमुख और चंचल स्वभाव की महिला हैं।
अच्छा, आज आप लोग घर में अकेले ही हैं।क्या बातें हो रही थीं? भाभी जी,ज़रा मुझे भी तो बताओ,मोहिनी ने कहा।
अरे ,कुछ नहीं।बस, हम लोग ऐसे ही आपस में बात करके समय काट रहे थे।फिर उन्होंने सारी बात बता दी।
मोहिनी ने कहा- नहीं, नहीं।मुझे तो आपके शर्मा जी आज भी बड़े स्मार्ट और हैंडसम लगते हैं।
मोहिनी की बात अब शर्मा जी के कानों से बार-बार आकर टकराने लगी।
वे शर्मा जी जो अभी कुछ देर पहले तक ये सोच रहे थे कि चलो ठीक ही हुआ, अब कम से कम प्यार,मुहब्बत के लफड़ों से छुट्टी हो जाएगी,जो अक्सर शादीशुदा जिंदगी में तूफान ला देते हैं।वैसे तो मैं किसी की तरफ नज़र उठाकर देखता नहीं हूँ और अगर देखा भी तो कोई महिला मुझे घास डालेगी नहीं,क्योंकि मैं बूढ़ा जो हो रहा हूँ।
लेकिन अब उन्हें ऐसा लग रहा था,मानो किसी ने ठहरे हुए,स्थिर तालाब के जल में कंकड़ी मारकर हलचल पैदा कर दी हो।
डाॅ बिपिन पाण्डेय

Language: Hindi
3 Likes · 4 Comments · 265 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मुक्तक- जर-जमीं धन किसी को तुम्हारा मिले।
मुक्तक- जर-जमीं धन किसी को तुम्हारा मिले।
सत्य कुमार प्रेमी
विडम्बना
विडम्बना
Shaily
फिजा में तैर रही है तुम्हारी ही खुशबू।
फिजा में तैर रही है तुम्हारी ही खुशबू।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
ऋषि मगस्तय और थार का रेगिस्तान (पौराणिक कहानी)
ऋषि मगस्तय और थार का रेगिस्तान (पौराणिक कहानी)
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
"सादगी" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
"I'm someone who wouldn't mind spending all day alone.
पूर्वार्थ
वेदनामृत
वेदनामृत
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
कल की फ़िक्र को
कल की फ़िक्र को
Dr fauzia Naseem shad
कजरी लोक गीत
कजरी लोक गीत
लक्ष्मी सिंह
हर कदम प्यासा रहा...,
हर कदम प्यासा रहा...,
Priya princess panwar
3574.💐 *पूर्णिका* 💐
3574.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
दर जो आली-मकाम होता है
दर जो आली-मकाम होता है
Anis Shah
|नये शिल्प में रमेशराज की तेवरी
|नये शिल्प में रमेशराज की तेवरी
कवि रमेशराज
" मैं "
Dr. Kishan tandon kranti
मां का हृदय
मां का हृदय
Dr. Pradeep Kumar Sharma
ये प्यार की है बातें, सुनलों जरा सुनाउँ !
ये प्यार की है बातें, सुनलों जरा सुनाउँ !
DrLakshman Jha Parimal
कर्म कभी माफ नहीं करता
कर्म कभी माफ नहीं करता
नूरफातिमा खातून नूरी
तू इतनी खूबसूरत है...
तू इतनी खूबसूरत है...
आकाश महेशपुरी
अनवरत ये बेचैनी
अनवरत ये बेचैनी
Shweta Soni
श्री कृष्ण भजन
श्री कृष्ण भजन
Khaimsingh Saini
कलरव करते भोर में,
कलरव करते भोर में,
sushil sarna
Chalo khud se ye wada karte hai,
Chalo khud se ye wada karte hai,
Sakshi Tripathi
*मैं शायर बदनाम*
*मैं शायर बदनाम*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
उसे खो दिया जाने किसी के बाद
उसे खो दिया जाने किसी के बाद
Phool gufran
इंसान हो या फिर पतंग
इंसान हो या फिर पतंग
शेखर सिंह
#काकोरी_दिवस_आज
#काकोरी_दिवस_आज
*प्रणय प्रभात*
प्रकृति हर पल आपको एक नई सीख दे रही है और आपकी कमियों और खूब
प्रकृति हर पल आपको एक नई सीख दे रही है और आपकी कमियों और खूब
Rj Anand Prajapati
जल बचाकर
जल बचाकर
surenderpal vaidya
मेरी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा इनाम हो तुम l
मेरी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा इनाम हो तुम l
Ranjeet kumar patre
कृष्णा सोबती के उपन्यास 'समय सरगम' में बहुजन समाज के प्रति पूर्वग्रह : MUSAFIR BAITHA
कृष्णा सोबती के उपन्यास 'समय सरगम' में बहुजन समाज के प्रति पूर्वग्रह : MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
Loading...