हलचलों का दौर
हलचलों का दौर चलने लगा,
दिल में दबा शोर मचलने लगा,
नाम था जिनका ज़ुबा पर मेरी,
दर्द बनकर मेरी आँखों से निकलने लगा,
बहुत कुछ सोचकर हमनें कदम रखा,
दिल को संभाला पर फिसलने लगा,
आ रहा था ज़ुबा पर नाम लड़कर खुदसे,
मैं नींद में था ऐसा मुझको लगाने लगा,
तनहा शायर हूँ