Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Feb 2024 · 1 min read

हर हाल में बढ़ना पथिक का कर्म है।

हर हाल में बढ़ना पथिक का कर्म है।

बढ़ना कहाँ आसान है
पथ का ह्रदय पाषाण है,
बेशक गड़ेंगे शूल भी
होंगी अनेकों भूल भी।
फिर भी सतत चलना तुम्हारा धर्म है
हर हाल में बढ़ना पथिक का कर्म है।

गरजे समंदर रह निडर
लड़ तुंग लहरों से निखर,
तूफान से मत भागना
होता अगर है सामना।
निज शौर्य, बल विस्तार में क्या शर्म है
हर हाल में बढ़ना पथिक का कर्म है।

जो जीतना है ठान ले
अपनी प्रत्यंचा तान ले,
कितना बुरा भी हाल हो
ऊँचा हमेशा भाल हो।
तेरी रगों में खून बहता गर्म है
हर हाल में बढ़ना पथिक का कर्म है।

माना कि तम का ढेर है
उजली किरण में देर है,
तुम दीप बनकर भी जलो
पग-पग उजालों में ढलो।
हर लक्ष्य पाने का यही एक मर्म है
हर हाल में बढ़ना पथिक का कर्म है।

जब तक परशु में धार है
होती न तेरी हार है,
तू वीर की संतान है
तूणीर में भी बाण है।
क्यों हो गया तेवर तुम्हारा नर्म है
हर हाल में बढ़ना पथिक का कर्म है।

अनिल मिश्र प्रहरी।

Language: Hindi
2 Likes · 193 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Anil Mishra Prahari
View all
You may also like:
टूटते पत्तो की तरह हो गए हैं रिश्ते,
टूटते पत्तो की तरह हो गए हैं रिश्ते,
Anand Kumar
*हर पल मौत का डर सताने लगा है*
*हर पल मौत का डर सताने लगा है*
Harminder Kaur
अकेलापन
अकेलापन
Shashi Mahajan
शीर्षक – फूलों के सतरंगी आंचल तले,
शीर्षक – फूलों के सतरंगी आंचल तले,
Sonam Puneet Dubey
बीन अधीन फणीश।
बीन अधीन फणीश।
Neelam Sharma
* आ गया बसंत *
* आ गया बसंत *
surenderpal vaidya
"" *सपनों की उड़ान* ""
सुनीलानंद महंत
अति भाग्यशाली थी आप यशोदा मैया
अति भाग्यशाली थी आप यशोदा मैया
Seema gupta,Alwar
*संसार में रहो लेकिन संसार के होकर नहीं*
*संसार में रहो लेकिन संसार के होकर नहीं*
Ravi Prakash
दोहा
दोहा
Shriyansh Gupta
विचार और भाव-2
विचार और भाव-2
कवि रमेशराज
अस्थिर मन
अस्थिर मन
Dr fauzia Naseem shad
कितने पन्ने
कितने पन्ने
Satish Srijan
घोटुल
घोटुल
Dr. Kishan tandon kranti
तूँ है कि नहीं है ये सच्च सच्च बता
तूँ है कि नहीं है ये सच्च सच्च बता
VINOD CHAUHAN
बाँधो न नाव इस ठाँव, बंधु!
बाँधो न नाव इस ठाँव, बंधु!
Rituraj shivem verma
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
माखन चौर
माखन चौर
SZUBAIR KHAN KHAN
"प्यासा"-हुनर
Vijay kumar Pandey
अंतर
अंतर
Dr. Mahesh Kumawat
शीर्षक - घुटन
शीर्षक - घुटन
Neeraj Agarwal
ना जाने कब किस मोड़ पे क्या होगा,
ना जाने कब किस मोड़ पे क्या होगा,
Ajit Kumar "Karn"
खेल संग सगवारी पिचकारी
खेल संग सगवारी पिचकारी
Ranjeet kumar patre
सहूलियत
सहूलियत
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
अंधकार जो छंट गया
अंधकार जो छंट गया
Mahender Singh
शिक्षकों को प्रणाम*
शिक्षकों को प्रणाम*
Madhu Shah
शीत .....
शीत .....
sushil sarna
थोड़ी-थोड़ी बदमाशी करती रहनी चाहिए,
थोड़ी-थोड़ी बदमाशी करती रहनी चाहिए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
3065.*पूर्णिका*
3065.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...