हर सिम्त यहाँ…
हर सिम्त यहाँ आज ये क्या देख रहा हूँ,
मेयार लियाक़त का घटा देख रहा हूँ,
अब ‘अश्क’ निदामत के न आँखों में किसी के-
तहज़ीब का ये रूप नया देख रहा हूँ।।
©अश्क चिरैयाकोटी
हर सिम्त यहाँ आज ये क्या देख रहा हूँ,
मेयार लियाक़त का घटा देख रहा हूँ,
अब ‘अश्क’ निदामत के न आँखों में किसी के-
तहज़ीब का ये रूप नया देख रहा हूँ।।
©अश्क चिरैयाकोटी