हर साल जलाया रावण को
,(१)
हर साल जलाया रावण को,पर क्या रावण जल पाया है।
सोने की लंका जली मगर,क्या पाप कर्म जल पाया है।
हर रोज अपहरण होते हैं,जाने कितनी बालाओं के,
पावन भू है यह ऋषियों की,नहि दिव्य दीप जल पाया है।
(२)
जो छोड चुके हैं अबआशा,उनको विश्वास दिलाना है।
अब कोई रहे न दीन दुखी,वह रामराज्य फिर लाना है।
मोदी का संकल्प यही है,यही राष्ट्र का है अब नारा,
सबको ही घर द्वार मिले,सब का संताप मिटाना है।
?अटल मुरादाबादी ?