हर समय हां में हां ——– ( गजल/ गीतिका)
हर समय हां में हां न मिलाइए।
अपने विचारो को भी सामने लाइए।
नहीं सुने कोई मंतव्य आपका,
उस महफिल में कभी न जाइए।।
प्रजातंत्र है सबको अधिकार मिला।
सोच समझकर ज़बान चलाईए।।
कर्म अपने करो कहां कोई रोकने वाला।
दुष्कर्मों को जीवन में न अपनाइए।।
भटक जाते है कई जीवन पथ पर।
भूले भटके को सु – पंथ दिखाइए।।
मिला जीवन कुछ ही समय के लिए।
“”अनुनय”” सामंजस्य से बिताइए।।
राजेश व्यास अनुनय