हर शक्स की एक कहानी है ।
हर शक्स की एक कहानी है ,
किसी की अधूरी किसी की पूरी जुबानी है ,
खाली सा है कोई शक्स मुझ में , बेरंग से हो गये है सपने,
बहुत कुछ भूल सा गया हूंँ मैं , शायद पहले से कुछ ज्यादा थक गया हूं मैं ।
तिनका तिनका बटोर , एक कुटिया बनाई है ,
सपने कैद कर भूल गया हूं मैं ,
अब उम्र भी हो चली है मेरी , अब बस मैं और मेरी तन्हाई है ।
भटक आता हूंँ यू ही हर रोज़ ,
रास्ते भी खुद मुझे खोज लेते है ।
निकला जो कभी किसी सफर पर मैं ,
कभी तो पहुचूंगा तेरे शहर भी मैं ,
मिलता बिछड़ता रहा तू मुझसे ,
अब कभी मिले तो जुदा ना होने दूंगा मुझसे..।
हर शक्स की एक कहानी है , किसी की अधूरी किसी की पूरी जुबानी है !