हर लम्हा ज़िंदगी ….
लम्हा-२ ज़िंदगी चाहे गुज़रती जाती है
हर लम्हा ज़िंदगी रोज़ नया सबक़ सिख़ाती है
किताबों में जो सबक़ कभी पड़ा नहीं
ठोकरें वही सबक़ पड़ाती हैं
जीने का नाम ही है ज़िंदगी
ज़िंदगी ही जीने का अंदाज़ सिख़ाती है
यह जीना नहीं आसान
मुश्किलें ही जीना आसान बनाती हैं
है कौन जिस ने मुश्किलें नहीं झेलीं
मुश्किलें मुश्किलों का हल कह ही जाती हैं
हर लम्हा ज़िंदगी नया सबक़ सिखाती है
– राजेश्वर