हर राह सफर की।
कुछ पल आ करके यूं ही गुजर जातें हैं।
बन कर याद जो जिन्दगी भर रह जातें हैं।।1।।
कौन समझाए उन्हें जो हमे भूल गए हैं।
अपनी यादों से जो हमे रुला कर जातें हैं।।2।।
हर राह सफर की उनसे दूर ही जाती हैं।
आज हम खुदको ऐसे दो राहे पर पातें हैं।।3।।
ऐसे तो तन्हाई में जो हमे अपना कहते हैं।
अक्सर महफिल में वो गैरों से हो जातें हैं।।4।।
छोड़ो अबतो ताज तुम भी इश्क करना।
दिल के अरमां दिल में ही बिखर जातें हैं।।5।।
तुम्हारी किस्मत तुम हो आज बुलंदी पर।
हर ही फूल कहां दरगाहों पर चढ़ पातें हैं।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ