हर रात उजालों को ये फ़िक्र रहती है, हर रात उजालों को ये फ़िक्र रहती है, कि चराग़ आज़ किस अंधेरे की फ़िराक में हैं ©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”