*हर मरीज के भीतर समझो, बसे हुए भगवान हैं (गीत)*
हर मरीज के भीतर समझो, बसे हुए भगवान हैं (गीत)
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हर मरीज के भीतर समझो, बसे हुए भगवान हैं
1)
आते हैं भगवान रूप धर, सौ-सौ रोगों वाला
दुखी वेदना से कराहते, लिए आस का प्याला
जिनकी ऑंखों में है करुणा, वही सिर्फ इंसान हैं
2)
सारे साधन ज्ञान समय दे, रोगी का उपचार हो
अनुचित लोभ नहीं जीवन में, किंचित भी आधार हो
नवजीवन मुस्कान प्रदाता, अस्पताल अभियान हैं
हर मरीज के भीतर समझो, बसे हुए भगवान हैं
3)
जिनमें सेवा-भाव बसा है, शत-शत उन्हें प्रणाम हैं
नर में नारायण के दर्शन, पूजा के आयाम हैं
रचे प्रतिज्ञा के शुचि पावन, इस ही लिए विधान हैं
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451