हर बात में राजनीति अच्छी नहीं होती
हर बात में राजनीति, अच्छी नहीं होती
लगी है तीसरी आंख, जनता यूंही ही नहीं सोती
कब तक बरगलाओगे, क्या आंखों की शरम खो दी
बरसों बरस से भोगे जा रहे हो, सत्ता सुंदरी को तुम
कुछ तो शरम करो, सब देखते हैं हम
सेवा को तुमने अब तो, धंधा बना लिया
व्यापार कर रहे हो, सब देखते हैं हम
कभी नागनाथ आए, कभी सांपनाथ आए
अब तंग हो गए हैं, किसको बिठाएं हम ?
सुरेश कुमार चतुर्वेदी