हर फूल को मुरझाना पड़ता है
हर फूल को आखिर मुरझाना पड़ता है
हर एक शख्स को ग़म उठाना पड़ता है
दिल को इतनी अक्ल कहां होती है
दिल को अक्सर समझाना पड़ता है
बने बनाये घोसले नहीं मिलते परिंदों को
तिनका तिनका जोड़कर बनाना पड़ता है
सुबह फिर निकलता है नई रौशनी लेकर
हर शाम सूरज को डूब जाना पड़ता है
ऐसे रिश्तों की उम्र बहुत कम होती है “अर्श”
जिनमे हमेशा यकीन दिलाना पड़ता है