हर – पल ये गीत गाता हूँ मैं
हर – पल ये गीत गाता हूँ मैं
हर – पल ये गीत गाता हूँ मैं
ए मेरे वतन
ताउम्र तेरी छाया रहे हम पर
ये गीत गुनगुनाता हूँ मैं
पाकर जीवन
तेरी संस्कृति की छाँव में
तेरे नाम की महिमा गाता हूँ मैं
ये गीत गुनगुनाता हूँ मैं
तू संस्कारों की पुण्य भूमि है
ऐ – मेरे वतन
तुझे शीश नवाता हूँ मैं
ये गीत गुनगुनाता हूँ मैं
जिस धरा पर जन्मे
श्रीकृष्ण और राम के आदर्श
उस पुण्य भूमि के गीत सुनाता हूँ मैं
ये गीत गुनगुनाता हूँ मैं
बुद्ध और महावीर की ये भूमि
पड़ते तुझ पर
पुण्य आत्माओं के चरण
उन पुण्य चरणों के गीत गाता हूँ मैं
ये गीत गुनगुनाता हूँ मैं
पीर , फकीरों , संतों की
पुण्य भूमि के
चरण पखारता हूँ मैं
ये गीत सुनाता हूँ मैं
ये गीत गुनगुनाता हूँ मैं