हर परिस्थिति में अपने साथ खुश रहना सीखे , खुश रहने का पहला सूत्र यही है – आनंदश्री
हर परिस्थिति में अपने साथ खुश रहना सीखे , खुश रहने का पहला सूत्र यही है – आनंदश्री
– तुलना करना छोड़िये और इसी समय आप जैसे भी स्वयं को स्वीकार कीजिये
आज जिस परिस्थिति में हम जी रहे है वंहा ख़ुशी का पाना महत्त्व है , ख़ुशी ही महत्त्व है लेकिन उस कस्तूरी हिरन की तरह हम खुशियों की तलाश में है। आप इस बात से खुश हो सकते हैं कि आप अभी किसके साथ हैं और खुद को जैसा है वैसा स्वीकार करते हैं। हम में से बहुत से लोग इसे स्वीकार नहीं करते हैं, लेकिन कई सामाजिक, शारीरिक और भावनात्मक समस्याओं का मूल कारण केवल यह तथ्य है कि लोग खुद को स्वीकार नहीं करते और न ही पसंद करते हैं। वे कैसे दिखते हैं, कैसे बात करते हैं, या कैसे कार्य करते हैं, इसके बारे में वे असहज हैं। वे अपने व्यक्तित्व की तरह नहीं हैं। वे हमेशा अन्य लोगों के साथ खुद की तुलना कर रहे हैं, वे काश के आकाश में ही भ्रमण करते है। वे अगर, मगर और काश ऐसा होता में ही व्यस्त रहते है। जैसे भी हो खुद को स्वीकार करो।
आप इस बात से खुश रहो क़ि आपके रचयिता आपका ईश्वर है। आप कुछ अलग हैं। यदि ईश्वर चाहता था कि आप एक फैशन मॉडल, एक फिल्म स्टार, एक प्रसिद्ध एथलीट या किसी और की तरह दिखें, तो उसने आपको उनके बारे में बताया जाएगा, उसके चिह्न और प्रतिक आपके सामने आ जाएंगे । यदि ईश्वर चाहता था कि आप एक अलग व्यक्तित्व दिखे ,उसने तुम्हें वह व्यक्तित्व दिया होगा इसलिए आप अलग हो। दूसरे लोगों से अपनी तुलना न करें; जो हाल है उसी में खुश रहते हुए आगे बढ़ाना सीखो।
बहुत से लोग इस बारे में असुरक्षित हैं कि वे कौन हैं, इसलिए वे लगातार अपने चारों ओर हर किसी की स्वीकृति प्राप्त करने की कोशिश करते हैं ताकि वे अपने बारे में बेहतर महसूस कर सकें। वे दूसरे लोगों को खुश करने के लिए जीवित रहते हैं, अपने सांचों में फिट होने की कोशिश करते हैं ताकि उन्हें स्वीकार किया जा सके। वे अपने बॉस, अपने पति या पत्नी , और अपने दोस्तों के लिए काम करते हैं। वे ढोंग का जीवन जीते हैं, विभिन्न मुखौटे पहनते हैं, और हर किसी को खुश करने की उम्मीद करते हैं। दुःख होने का यही कारण है क़ि भाव विचार वाणी और क्रिया सब के सब अगल है।
अगर आप अपने जीवन का पूरा आनंद लेने जा रहे हैं, तो आपको आश्वस्त होना सीखना चाहिए क्योंकि आपको व्यक्तिगत ईश्वर ने आपको बनाया है। इसे समझें: आप किसी और की नकल करने के लिए नहीं बने थे। तुम बनने के लिए पैदा हुए थे। आप मास्टरपीस हो , आप अकेले एक ही हो।
आज का दिन आपके जीवन का सबसे महत्त्व पूर्ण दिवस बने यही विश्वास के साथ आज की शुरुवात करे।
प्रो डॉ दिनेश गुप्ता – आनंदश्री
आध्यात्मिक व्याख्याता एवं माइंडसेट गुरु
मुंबई