बचपन
बचपन
वह बचपन की भी क्या दिन थे,
बदल सा गया है आज वह हर दिन।
वह दादी की रात में कहानियां सुनाना,
कभी-कभी डरावनी कहानियां सुनाना।
बचपन में रात को सब का खुले आसमान के नीचे सोना,
और रात को आसमान में तारे चलते देखना, पड़े याद आते हैं वह बचपन के दिन।
गर्मियों की छुट्टियों के दिन सबका दिन में सोना और हमारा आम के पेड़ के पास जाना,
और पेट भर कच्चे पक्के आम खाना बड़े याद आते हैं वह दिन छुट्टियों में नानी के घर जाना बड़े याद आते हैं वह बचपन के दिन।
फिर आम की गुठलियों को पत्थर या दीवारों पर घिसना और उन गुठलियों का बाजा बनाकर
बजाना ,
और फिर परेशान करना और फिर मां का नींद से उठ कर आना ,और फिर हमें डांटना और फिर हमारे पीछे भागना, बड़े याद आते हैं वह बचपन के दिन।
बचपन में गांव में धान की खेती होना ,खेत में चारों तरफ से पानी बंद करना होता था ,फिर उसमें हमारा नहाना ,कपड़े गंदे करना बहुत याद आते हैं वह बचपन के दिन।
बचपन की जितनी सुनाई कम है जिस जिस ने बचपन को याद किया सबकी आंखें नम है।
✍️ वंदना ठाकुर✍️