हर दिन दीवाली
साथ हो गर उसी का हर दिन दीवाली
बिन प्रियतमा हमारी सूखी है दीवाली
संग संग चले अगर दीप जीवन जलता
संग छूट जाए तो है दीप जीवन बुझता
कदमों की आहट से जागृति है मिलती
कदम जो पीछे खींचते बस्ती है जलती
सुखमय हो जीवन दीवाली सा उजाला
दुखमय जीवन जैसे दीवाली में दीवाला
हँसाए जो जिन्दगी फुलझड़ी है जलती
रूलाए जो जिन्दगी हथकड़ी सी लगती
हँसी के फव्वारे जैसे दीवाली के पटाखे
गम के घने साये खड़े हों पीछे सलाखें
रंक रंज में नहीं मनाई जा सके दीवाली
जन गण समृद्ध हो मुबारक हो दीवाली
साथ हो गर उसी का हर दिन दीवाली
बिन प्रियतमा हमारी सूखी है दीवाली
सुखविंद्र सिंह मनसीरत