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27 Oct 2019 · 1 min read

हर दिन दीवाली

साथ हो गर उसी का हर दिन दीवाली
बिन प्रियतमा हमारी सूखी है दीवाली

संग संग चले अगर दीप जीवन जलता
संग छूट जाए तो है दीप जीवन बुझता

कदमों की आहट से जागृति है मिलती
कदम जो पीछे खींचते बस्ती है जलती

सुखमय हो जीवन दीवाली सा उजाला
दुखमय जीवन जैसे दीवाली में दीवाला

हँसाए जो जिन्दगी फुलझड़ी है जलती
रूलाए जो जिन्दगी हथकड़ी सी लगती

हँसी के फव्वारे जैसे दीवाली के पटाखे
गम के घने साये खड़े हों पीछे सलाखें

रंक रंज में नहीं मनाई जा सके दीवाली
जन गण समृद्ध हो मुबारक हो दीवाली

साथ हो गर उसी का हर दिन दीवाली
बिन प्रियतमा हमारी सूखी है दीवाली

सुखविंद्र सिंह मनसीरत

Language: Hindi
179 Views
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