हर तरह ज़िन्दगी से निभाना पड़ा
हर तरह ज़िन्दगी से निभाना पड़ा
हौसलों को सहारा बनाना पड़ा
ज़िन्दगी ने दिया ,तो लिया भी बहुत
हमको हर हाल में मुस्कुराना पड़ा
हमने तो दिल पे तेरा लिखा नाम बस
जख्म बनते गये जब मिटाना पड़ा
बन गया तेरी यादों का दिल में जो घर
तेरे बिन आंसुओं से सजाना पड़ा
दर्द का बन न जाये फसाना तभी
आँसुओं को खुशी के बताना पड़ा
मिल रहे अब हमें दर्द कितने नये
‘अर्चना’ भारी दिल ये लगाना पड़ा
11-06-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद