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15 Nov 2023 · 1 min read

हर तरफ से जख्म खाए है

हर तरफ से जख्म खाए है
मलहम लगाए तो कहा लगाए
भरोशा अपनो पे किया
तो वो भी ज़ख्म दिए
बाहरी को अपना बनाए
तो ज़ख्म के साथ मज़ाक भी बनाया
अब भरोसा करे तो किस पे करे
हर तरफ से टूटे है
किधर किधर से जोड़े
दर्द भी बेइमतेहा है
पर बताऊं किसको
ना कोई सुनने वाला है
ना कोई समझने वाला
हर तरफ से ठुकराए गए है
अब किसको अपनाएं
लोगो से उम्मीदें छोड़ दी है
अब उम्मीद करे तो करे किस से
टूट के चूर चूर हुए है
की जोड़ भी नही सकते
दर्द इतना है की
आशू भी नहीं निकलते पाते
अब थक चुके है
अपने दर्द को छुपा छुपा के
रोज यहीं हस्ता हुआ चेहरा दिखाते दिखाते
सायद कोई समझ लेता मुझे भी🥺
-सुधा

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