हर तरफ से जख्म खाए है
हर तरफ से जख्म खाए है
मलहम लगाए तो कहा लगाए
भरोशा अपनो पे किया
तो वो भी ज़ख्म दिए
बाहरी को अपना बनाए
तो ज़ख्म के साथ मज़ाक भी बनाया
अब भरोसा करे तो किस पे करे
हर तरफ से टूटे है
किधर किधर से जोड़े
दर्द भी बेइमतेहा है
पर बताऊं किसको
ना कोई सुनने वाला है
ना कोई समझने वाला
हर तरफ से ठुकराए गए है
अब किसको अपनाएं
लोगो से उम्मीदें छोड़ दी है
अब उम्मीद करे तो करे किस से
टूट के चूर चूर हुए है
की जोड़ भी नही सकते
दर्द इतना है की
आशू भी नहीं निकलते पाते
अब थक चुके है
अपने दर्द को छुपा छुपा के
रोज यहीं हस्ता हुआ चेहरा दिखाते दिखाते
सायद कोई समझ लेता मुझे भी🥺
-सुधा