—हर घडी तेरा साथ —
बंधन बाँध लिआ ऐसा
कि तोड़े से न टूट सके
जब जब तू सांस ले
तेरे दिल में धड़कन बन चलूँ मैं
रहूं पास या रहूं दूर
पल पल याद करूँ मैं
रगों में दौड़ता है खून जैसे
उस की तरह तुझ में बसूं मैं
रोके से न जो रूक सका
वो तूफ़ान बन चलूँ मैं
जन्म जन्म का साथ है
हर जन्म तुझ को ही मिलूं मैं
अजीत कुमार तलवार
मेरठ