हर घड़ी कदम बढ़ाते रहो…
हर घड़ी कदम बढ़ाते रहो
मुश्किलों के बीच रास्ता बनाते रहो!
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ठहर कर पानी भी दुर्गन्ध देता है
ठहरो नहीं ज़िन्दगी में मुस्कुराते रहो!
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लक्ष्य तक पहुँचाना है हर हाल में
ये बात हमेशा दिमाग में लाते रहो!
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करना है रौशन अगला सवेरा
यह सोच यह प्रयास हमेशा मन में लाते रहो!
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लाख परिस्थितियाँ विपरीत होती है तो क्या?
किस्मत के आगे खुद लकीरें बनाते रहो!
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आकार देता है जैसे कुंभकार एक घड़े को
तुम भी हौसलों से अपने सपने सजाते रहो!
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खोना-पाना तो ज़िन्दगी की फ़ितरत है
कुछ खोकर भी अपना उद्देश्य पाते रहो!
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चार दिन की है ज़िन्दगी कट जायेगी ये नहीं
ज़िन्दगी के सब दिन होंगे हमारे ये सबको बताते रहो!
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शालिनी साहू
ऊँचाहार, रायबरेली(उ0प्र0)