हर ग़ुनाह
निज़ामे ज़िन्दगी के लिए सख्तियां भी ज़रूरी है,
हर ग़ुनाह ”शाद” क़ाबिले माफ़ी नहीं होता ।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद
निज़ामे ज़िन्दगी के लिए सख्तियां भी ज़रूरी है,
हर ग़ुनाह ”शाद” क़ाबिले माफ़ी नहीं होता ।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद