हर गजल कुछ कहती है
“सुकूँ से भीग जाती है,ये पलकें तेरे आने से,
निगाहें जब ठहर जाती तेरे यूँ मुस्कुराने से।
ये जो ख्यालों की साजिश है बड़ी है तिश्नगी इसमें,
नहीं मिटती किसी बरसात में भी भीग जाने से।
गिरा दो लाख परदे या, मिटा दो हर निशां उसका,
महकते फूल की खुशबू नहीं छुपती छुपाने से।
ये अल्फाजों की बंदिश है,नहीं है सिलसिला कोई,
ये गुल खिलता है,जज्बातों को स्याही में मिलाने से।
न कोई रंज न शिकवा,हमें रहता जमाने से,
हमारा हाल ही जो ,पूछ लेते तुम बहाने से।
कभी पूछे पता तेरा ,हवाओं से तो कहती है,
नहीं ख़त यूँ मिला करते,किसी बिछड़े ठिकाने से।”
#रजनी