हर खुशी मिल गई
कहां थे तुम और कहां थे हम
अंधेरे कामिल,रोशनी मिल गई
गम बेकली उदासी चली गई
तुम मिले, हर खुशी मिल गई
गमगीन गुमसुम गुमशुदा हम
तरसते लबों को हंसी मिल गई
जां हलक मे, रूह फना होती
आये जो तुम जिन्दगी मिल गई
पतझड़ सूखा मौसम कायनात
आने से तेरे, बहार मिल गई
नदिया सागर झीलें आस पास
आंखो से पी ली प्यास बुझ गई
न मिलते तुम होता मेरा ये हाल
ज्यों जीने की तमन्ना निकल गई
बिछड़े तुम देके जुदाई का साया
समझो जिस्म से जां निकल गई
हो सलामत तेरा हुस्न मेरा इश्क
इस दुनियां से कयामत चली गई
रहें गुलजार अब बहार के दिन
तुम मिले तो हर खुशी मिल गई
स्वरचित
मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर