हर क्षण नारायण नारायण नारायण गाएँ
माँ के गर्भ कैद से जीवा
मुक्त करो हे राम पुकारे |
जग में आकर बाहर भूले
दुःख के नाम उचारे |
भेज ले हर का नाम, कि ताकि पुनर्जन्म नहीं पाएं |
हर क्षण नारायण, नारायण, नारायण गाएँ |
बढ़ते तन के साथ साथ ही
जुड़ते मोह व माया |
पथ्य अपथ्य ध्यान न रखकर
जो मन आया खाया |
शाकाहारी व्रत में बंध कर, जो तन लागे खाएं |
हर क्षण नारायण नारायण नारायण गाएँ |
आँख कान दो निकट पड़ोसी
देख सुनें सब बातें |
मितव्ययी बन उतना बोलें
बोल लगे सौगातें |
समझ बुढ़ापा माथे आया, मोह से जी चुराएं |
हर क्षण नारायण नारायण नारायण गाएँ |
ज्ञान क्षेत्र आकाश सरीखा,
उसका ओर न छोर |
कभी न समझो पूर्ण स्वयं को, रुके न चिंतन दौर |
कर्म क्षेत्र पर चलते चलते, जब जागें शंकाएँ |