हर क्षण कृतार्थ हो ।
जीवन का,
हर क्षण कृतार्थ हो ।
हृदय-कर्म,
भावना-परमार्थ हो ।
पग-पग पर,
जब सफ़र करें तो,
दृष्टि में बस यथार्थ हो ।
रिश्तों से,
खिल उठेगा जीवन ।
पुष्पों से,
महकेगा मधुवन ।
भर उमंग,
झूमेगा तन-मन ।
कामना निःस्वार्थ हो ।
भेद भूल,
बस अपनापन हो ।
सुख-दुःख में,
जीवनयापन हो ।
चाह सदा ही,
सबके साधन की ।
इच्छा एक,
सबका हितार्थ हो ।