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18 Jun 2021 · 1 min read

हर कली को मुस्कुराने दीजिए

गज़ल
2122………2122………212

खिल सकें,पहले न मरने दीजिए!
हर कली को मुस्कुराने दीजिए!

हाथ कोई उन तलक पहुंचे नहीं,
मत किसी को पास आने दीजिए!

दूर तक खुशबू हवा ले जायेगी,
गंध मधुरिम फैल जाने दीजिए!

क्यों गरीबों का निवाला छीनते,
दाल रोटी उनको खाने दीजिए!

मौसमें गम को खुशी में दे बदल,
गीत ऐसा गुनगुनाने दीजिए!

राज़ को अब राज़ मत रखिए मियां,
इससे अब पर्दा हटाने दीजिए!

मिल सकें ‘प्रेमी’ न कोई भय रहे,
दिन वही फिर से सुहाने दीजिए!

……. ✍ प्रेमी

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