हर कदम पर
* हर कदम पर *
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हर कदम पर साथ सबके काम हम आएं।
स्वप्न जीवन के सभी साकार कर पाएं।
खूब खिलता जा रहा है आज गुलमोहर।
हो सके तो हम खुशी के रंग बिखराएं।
हो गया चारों तरफ है खुशनुमा मौसम।
भूलकर बातें पुरानी मस्त हो जाएं।
चाहतों को हम नया आयाम कोई दें।
हो सके खुशियों भरी नव राह अपनाएं।
फूल कोई मुस्कुराता कह रहा हमसे।
अल्प जीवन में हमेशा पूर्णता लाएं।
जान लें कुछ सत्य दर्पण कह रहा हमसे।
चार दिन की चांदनी में यूं न भरमाएं।
कौन किसको कह सका कटु सत्य दृढ़ता से।
हैं बहुत कम लोग जो सच बात बतलाएं।
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– सुरेन्द्रपाल वैद्य।
मण्डी (हिमाचल प्रदेश)