हर एक रास्ते की तकल्लुफ कौन देता है
हर एक रास्ते की तकल्लुफ कौन देता है……..
के पक्षी को उड़ाने की इजाजत कौन देता है…,
हर घर की बुनियाद में छिपा है नीम का पत्थर..,
अपने परिचय के विवरण में हकीकत कौन देता है
हर भाषण में दलीलें लाखों होती है लेकिन
मगर बेटी के हक में हिफाजत कौन देता है
बुझ जाता है दिया हवा के साए में आकर
फिर इस दिय को चिंगारी कौन देता है….
मेरे जहन में आकर के लाचारी कौन देता है
मुझे नित नचाने को मदारी कौन देता है….
मेरी तरक्की से मदहोश है कई मेरे अपने…
मेरे खिलाफत की बस को सवारी कौन देता है
✍️कवि दीपक सरल
8952008042