हर इंसा हार जाता है अपने इश्क को भुलानें में।
जा जाकर पूंछ ले हमारी मुहब्बत इस ज़मानें से।
हमनें कितनी वफाये की तेरे इश्क को निभानें में।।1।।
मुद्दतों से एक बस तुम्हारी ही चाहत है दिल को।
मुहब्बत है बहुत बस वक्त लगा तुमको बतानें में।।2।।
सबसे ही मदद लेना शुमार है तुम्हारी आदतों में।
मजा ना आता है अहसाने जिंदगी को बितानें में।।3।।
जब से खबर लगी है उसको यूं तुम्हारे आनें की।
बड़ा ही खुश है वोआज अपने घर को सजानें में।।4।।
गर खुशी देते हो तुम तो अश्क भी तुम्ही देते हो।
तुमको हमेशा ही मज़ा आता है हमको रुलानें में।।5।।
मुहब्बत में हुई बातें वादे हमेशा ही याद आतें है।
हर इंसा हार जाता है अपने इश्क को भुलानें में।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ