(( हर्फ़ ))
बस दो हर्फ़ ही तो लिखे थे ,मैंने अपनी मोहब्बत में ,
एक तेरा नाम लिखा, और एक अपना नाम लिखा ,,
दर्द बहुत था दिल में , टूट के बिखरने का ,
आँसू रोते रहे मेरे , मगर चाह कर भी नही चीखा,,
मेरी हज़ार कमियां ,तुम्हे दिख जाती है ,
बस मेरी आँखों मे ,बेपनाह मोहब्बत नही दिखा,
नही अच्छा लगता है, अब कुछ भी इस शरीर को ,
जब से तू गया है , मेरा हर रंग हो गया है फीका ,