“हरी सब्जी या सुखी सब्जी”
“हरी सब्जी या सुखी सब्जी”
किसी को भाए रोज हरी भरी सब्जी
तो कोई कढ़ी खाना पसंद करता है
गांव वालों की पसंद है ठंडा रायता
बाजरे की रोटी संग खुशी से खाता है,
कई तो मरते हैं हाय पनीर हाय पनीर
कोई तो लाल मिर्ची से काम चलाता है
कोई तो खाता दूध और हरी मिर्च मात्र
राज को लहसुनिया पनीर ही लुभाता है,
राजस्थान में पसंद करते सुखेडी सब्जी
हरियाणा वाला भी इसे राजी हो खाता है
अपने खेत की सब्जी की बात ही न्यारी
पालक, धनिया चारों ओर सुगंध फैलाता है,
माटी में से गाजर मूली उखाड़ के निकालो
टोंटी नीचे धोकर खाने का अलग जायका है
कोई खाए ज्यादा तरी वाली सब्जी रोज
कोई तो कम तेल और मसाले की खाता है,
अरे सबकी होती है अपनी अलग ही पसंद
कोई तरकारी तो कोई कोई सूखेडी खाता है
सबकी जीभ का होता है अलग अलग स्वाद
मीनू को हर शाकाहारी जायका मन भाता है।