हरी चूड़ियां मनभावन सावन
सावन की रुत आई निराली,हरी भरी हैं क्यारी प्यारी
सज कर मेरी दुल्हन निराली,लग रही हैं प्यारी प्यारी
साड़ी लाल पहन निराली,पायल की छनछन प्यारी
हरी चुनरिया लाल पर निराली,लग रही हैं प्यारी प्यारी
हरी चूड़ियां हाथ निराले,लगे पिया को प्यारी प्यारी
गोरे हाथ मेहंदी निराली,हथेली चमक रही हैं प्यारी।
सखियों संग झूले निराली,पिया के मन को भायी प्यारी
पेडों पर झूले पड़े निराले,जैसे कृष्ण झुलाए राधा प्यारी।
सावन की फुहार निराली,हरसाये आज मन प्यारी
नीम की निबोली निराली,सब सखियों संग मेरी प्यारी
हरी चूड़ियां लगे निराली,पी के मन को लगे हैं प्यारी
उसपर चुनरियां लहराए निराली, ब्यार बहे प्यारी।
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद