* हरि भजले **
* हरि भजले **
* भजन + ( अध्यात्म) *
जीवन के दिन है चार रे मनवा हरि भजले |
जीवन मिले ना बार बार मनवा हरि भजले || टेक||
निश्छल होता है बालक मन बचपन निर्दोषी जीवन
व्यापे ना कोई विकार ,मनवा हरि भजले ||1||
युवा अवस्था खेल गंवाया खाया पिया मन भरमाया,
कोई न गृहस्थी का भार, मनवा हरि भजले ||2||
आई जवानी गृहस्थी बसाया दो आंखे चार कराया,
किया परिवार विस्तार, मनवा हरि भजले ||3||
वृद्धावस्था कुछ न करेगा जीवन तेरा यूं ही चलेगा,
ले राम नाम आधार मनवा हरि भजले ||4||
अन्त मे कोई साथ न जाये राम नाम ही पार लगाये,
करले जीवन का उद्धार मनवा हरि भजले ||6||
जीवन के दिन है चार रे मनवा हरि भजले ||
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